Hindi, asked by ritushreekarn01, 2 months ago

भावार्थ स्पष्ट करे - ऐसे थे अरमान कि उड़ते नील गगन की सीमा पाने, लाल किरण - सी चोंच खोल चुगते तारक-अनार के दाने।​

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Answered by swamideeksha
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Answer:

भाव यह है पिंजरे मे कैद होकर सोने की कटोरी में खाने-पीने से अच्छा स्वतंत्र होकर आसमान में उड़ना है। स्वर्ण-श्रृंखला के बंधन में अपनी गति, उड़ान सब भूले, बस सपनों में देख रहे हैं तरू की फुनगी पर के झूले । ऐसे से अरमान कि उड़ते नीले नभ की सीमा पाने, लाल किरण सी चोंच खोल चुगते तारक-अनार के दाने ।

Answered by bidkarpravin5
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