भावार्थ स्पष्ट करे - ऐसे थे अरमान कि उड़ते नील गगन की सीमा पाने, लाल किरण - सी चोंच खोल चुगते तारक-अनार के दाने।
Answers
Answered by
3
Answer:
भाव यह है पिंजरे मे कैद होकर सोने की कटोरी में खाने-पीने से अच्छा स्वतंत्र होकर आसमान में उड़ना है। स्वर्ण-श्रृंखला के बंधन में अपनी गति, उड़ान सब भूले, बस सपनों में देख रहे हैं तरू की फुनगी पर के झूले । ऐसे से अरमान कि उड़ते नीले नभ की सीमा पाने, लाल किरण सी चोंच खोल चुगते तारक-अनार के दाने ।
Answered by
1
Explanation:
please mark me as brainliest
Attachments:
Similar questions
Math,
1 month ago
Environmental Sciences,
1 month ago
History,
1 month ago
Math,
2 months ago
Environmental Sciences,
2 months ago
Biology,
9 months ago
Biology,
9 months ago