India Languages, asked by prashantkumarcoc, 9 months ago

भावार्थ स्पष्ट करे -
कर्मण्ये वाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।
मा कर्मफल हेतु भूर्मा ते सगोस्त्वकर्मणि।।

Answers

Answered by 2105rajraunit
4

भावार्थ: तेरा कर्म करने में ही अधिकार है, उसके फलों में कभी नहीं। इसलिए तू कर्मों के फल हेतु मत हो तथा तेरी कर्म न करने में भी आसक्ति न हो।

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Answered by lata40386
3

Answer:

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