- भाव स्पष्ट कीजिए-
| i. संकट का चरण न गहते हैं।
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Frustration and anxiety
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यह पंक्ति रामधारी सिंह "दिनकर"जी की कविता से ली गई है
मुख से न कभी उफ कहते हैं, संकट का चरण न गहते हैं,
इसका अर्थ है
जो आ पड़ता सब सहते हैं, उद्योग-निरत नित रहते हैं,
रामधारी सिंह 'दिनकर' ' जी हिन्दी के एक प्रमुख लेखक, कवि व निबन्धकार थे। वे आधुनिक युग के श्रेष्ठ वीर रस के कवि के रूप में स्थापित हैं । दिनकर जी की काव्य प्रतिभा का अनुमान अभिनेता आशुतोष राणा द्वारा दिनकर जी की प्रसिद्ध कविता कृष्ण की चेतावनी को सुनकर लगाया जा सकता है।
'दिनकर' स्वतन्त्रता पूर्व एक विद्रोही कवि के रूप में स्थापित हुए और स्वतन्त्रता के बाद 'राष्ट्रकवि' के नाम से जाने गये।
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