भाव स्पष्ट कीजिए-
i. सत्य नाम करु हरु मम सोका।
ii. फिरि बैठीं मन बिसमय भयऊ।
iii. जाना मन कर्म बचन यह कृपासिंधु कर दास।
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- सत्य नाम करु हरु मम सोका॥5॥ भावार्थ:-चंद्रमा अग्निमय है, किंतु वह भी मानो मुझे हतभागिनी जानकर आग नहीं बरसाता। हे अशोक वृक्ष! मेरी विनती सुन।
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फिरि बैठीं मन बिसमय भयऊ।
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