भाव स्पष्ट कीजिए।
(क) जेब टटोली कौड़ी न पाई।।
(ख) खा-खाकर कुछ पाएगा नहीं,
न खाकर बनेगा अहंकारी।
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क )जेब टटोली कौड़ी न पाए इस भाव का अर्थ है कि जब कभी उस भगवान समान नाविक के नाम से उतरा तो उसके जेब में एक भी रुपए नहीं थे उन्हें देने के लिए खा खा कर कुछ फायदा नहीं ना खाकर बने अंगारे इसका अर्थ है कि जब तुम ढेर सारे धन के सिवाय गरीबों के नाती जिओगे धन रहने के बावजूद भी कंजूसी करोगे तो तुम्हें कुछ नहीं मिलेगा शिवायअहंकार के लेकिन अगर तुम उस धन का सही उपयोग करोगे तो तुम्हें बहुत कुछ मिल सकता है
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