Hindi, asked by hi4sanjana, 15 days ago

भाव स्पष्ट कीजिए- नभ को छूना ही पड़ता है कब अपने-आप गगन उतरा?​

Answers

Answered by sriakg
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Answer:

1. कर्मवीरदेख कर बाधा विविध, बहु विघ्न घबराते नहीं।

रह भरोसे भाग के दुख भोग पछताते नहीं।

काम कितना ही कठिन हो किन्तु उकताते नहीं।

भीड़ में चंचल बने जो वीर दिखलाते नहीं।

हो गये एक आन में उनके बुरे दिन भी भले।

सब जगह सब काल में वे ही मिले फूले फले।1।

आज करना है जिसे करते उसे हैं आज ही।

सोचते कहते हैं जो कुछ कर दिखाते हैं वही।

मानते जी की हैं सुनते हैं सदा सब की कही।

जो मदद करते हैं अपनी इस जगत में आप ही।

भूल कर वे दूसरों का मुँह कभी तकते नहीं।

कौन ऐसा काम है वे कर जिसे सकते नहीं।2।

जो कभी अपने समय को यों बिताते हैं नहीं।

काम करने की जगह बातें बनाते हैं नहीं।

आजकल करते हुए जो दिन गँवाते हैं नहीं।

यत्न करने में कभी जो जी चुराते हैं नहीं।

बात है वह कौन जो होती नहीं उनके किए।

वे नमूना आप बन जाते हैं औरों के लिए।3।

व्योम को छूते हुए दुर्गम पहाड़ों के शिखर।

वे घने जंगल जहाँ रहता है तम आठों पहर।

गर्जते जल-राशि की उठती हुई ऊँची लहर।

आग की भयदायिनी फैली दिशाओं में लवर।

ये कँपा सकतीं कभी जिसके कलेजे को नहीं।

भूलकर भी वह नहीं नाकाम रहता है कहीं।4।

चिलचिलाती धूप को जो चाँदनी देवें बना।

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