Hindi, asked by Sahurohit1234, 5 hours ago

भाव स्पष्ट कीजिए please answer Sahi dena​

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Answered by prachisrivastava957
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Answer:

Here is ur answer :

● इस पर लक्ष्मणजी हँसकर अपनी मधुर बाणी से बोले हे मुनिवर ! आप अपने आप को बहुत बड़ा योद्धा समझते हैं । इसीलिए मुझे बार-बार कुल्हाड़ी (फरसा) दिखा रहे हैं। ऐसा लग रहा हैं मानो आप फूँक मारकर ही पहाड़ को उड़ा देना चाहते हों |

● मैं कोई कुम्हड़े की बतिया नहीं हूँ जो तर्जनी अंगुली दिखाने से ही कुम्हला (मर) जाती है।आपके कुठार व धनुषबाण देखकर ही मैंने यह बात अभिमान से कही हैं ।

● ऐसा सुनकर विश्वामित्र मन ही मन हँसे और सोचने लगे कि परशुरामजी आज तक सभी क्षत्रियों पर विजयी रहे। इसीलिए ये राम-लक्ष्मण को भी एक साधारण क्षत्रिय ही समझ रहे हैं। ये बालक (लक्ष्मण) फौलाद का बना हुआ , न कि गन्ने की खांड का। परशुराम जी अभी भी इनकी साहस , वीरता व क्षमता से अनभिज्ञ हैं।

Explanation:

Hope this answer will help u dear ✌

Thank you keep learning !

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