भाव स्पष्ट कीजिए -
"या तो क्षितिज मिलन बन जाता/या तनती साँसों की डोरी।"
NCERT Class 7th: हिंदी वसंत भाग - II पाठ 1 - हम पंछी उन्मुक्त गगन के (कविता)
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क्षितिज : वह स्थान जहां धरती और आसमान मिलते हुए प्रतीत हो। इस वाक्य का अर्थ है कि : या तो पक्षियों को स्वतंत्रता से उड़ने दो या तो उन्हें कैद करोगो तो वो जीते जी मर जाऐगा।
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दी गई कविता की पंक्तियों का भावार्थ निम्न प्रकार से स्पष्ट किया गया है।
संदर्भ
- प्रस्तुत पंक्तियां " हम पंछी उन्मुक्त गगन के " कविता से ली गई है।
- कविता के कवि है शिवमंगल सिंह सुमन।
प्रसंग :
- कवि ने इन पंक्तियों में पक्षियों के माध्यम से स्वतंत्रता का महत्व स्पष्ट किया है।
व्याख्या :
- कवि कहते है कि पंछी पिंजरे में बंद होना नहीं चाहते, उन्हें सोने का पिंजरा नहीं चाहिए ।
- वे खुले गगन में विचरण करना चाहते है।
- पंछी इन पंक्तियों में अपनी इच्छा व्यक्त कर रहे है , वे कह रहे है कि हम स्वतंत्र होते ही आसमान की सीमाएं ढूंढने निकलते , हम या तो क्षितिज तक चले जाते या अपने प्राण त्याग देते।
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