भाव स्पष्ट कीजिए- “यह शून्य से होकर प्रकट, नव-हर्ष से आगे झपट, हर अंग से जाती लिपट, आनंद सरसाती हवा
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यह शून्य से होकर प्रकट नव वर्ष से आगे झपट हर अंग से जाति लिपट आनंद सर साथ हवा इसका अर्थ है कभी कहते हैं कि मुझे हिमालय की सफेदी मल्ही माझा अधिक हजारों फीट की ऊंचाई वाले शिखरों के मध्य काले भूरे बादलों वाले दुर्गम घाटियों में अपनी ही नाभि में सन्निहित कस्तूरी की सुगंध से अनुमानित बने मानव स्वयं इधर-उधर भागते हुए कस्तूरी मृग को दिखाने का मौका मिला है
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