Hindi, asked by ashwaniverma6943, 8 months ago

भाव स्पष्ट करें कोटिक ए कलधोत के धाम करील के कुंजन ऊपर वारौ

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Answered by rinku1731
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Answer:

  • सवैये कोटिक ए कलधौत के धाम करील के कुंजन ऊपर वारौं। कवि के भाव के अनुसार जो आत्मिक सुख ब्रज की प्राकृतिक छटा में है, उसके सौंदर्य को निहारने में है वैसा सुख संसार की किसी भी सांसारिक वस्तु को निहारने में नहीं है। इसलिए वह ब्रज की काँटेदार झाड़ियों व कुंजन पर सोने के महलों का सुख न्योछावर कर देना चाहते हैं।
Answered by kumaripalak995599
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Answer:

रसखान ब्रजभूमि से इतना प्रेम करतें हैं की वे काँटेदार करील के कुंजों के लिए करोड़ों महलों के सुख को भी न्योछावर करने को तैयार है। आशय यह है की वे महलों की सुख-सुविधा त्याग कर भी उस ब्रजभूमि पर रहना पसंद करते हैं।

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