भाव स्पष्ट करें।
कोटिक एकलधौत के धात करील के कुंजन ऊपर वारौं
माई री वा मुख की मुसकानि सम्हारी न जैहे न जहै।
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गोपी यह कह रही है कि वह श्री कृष्ण के ऊपर सब कुछ न्योछावर कर दूंगी सभी यह सुन लो कि श्री कृष्ण के मुख की मुस्कान और मुरली की धुन के आगे उसका स्वयं पर वश नहीं रहता उससे अपनी खुशी समाई नहीं जाती
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