Hindi, asked by maverick275, 8 months ago

भाव स्पष्ट - दुख है न चाँद खिला शरद रात आने पर , क्या हुआ जो खिला फूल रस बसंत आने पर?​

Answers

Answered by bhatiamona
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दुख है न चाँद खिला शरद रात आने पर,

क्या हुआ जो खिला फूल रस बसंत आने पर?​

भाव : गिरिजाकुमार माथुर द्वारा रचित कविता ‘छाया मत छूना’ की इन पंक्तियों का भाव यह है कि कवि को इस बात का दुख है कि उसके पास कहने के लिए तो अनेक सुख सुविधाएं हैं, लेकिन मन के अंदर जो दुख व्याप्त हैं, उसके अंत की कोई आशा नहीं है। कवि के मन को इस बात का दुख है कि सर्द ठंडी रात में चाँद ने अपनी चाँदनी नहीं बिखेरी और वो उसका आनंद नहीं ले पाया। कवि कहना चाहता है कि वसंत ऋतु के बीच जाने पर यदि फूल खिले तो उनका कोई अर्थ नहीं रह जाता। जो सुख प्राप्त होना है वह समय पर ही प्राप्त हो जाए तभी उसका सच्चा आनंद है। समय बीत जाने के बाद वस्तु की उपलब्धि का कोई महत्व नहीं रहता और लेकिन कभी-कभी समय बीत जाने के बाद भी उपलब्धि मनुष्य को सुख प्रदान करती है, लेकिन जो सच्चा सुख समय के भीतर ही प्राप्त हो जाए वही सबसे श्रेष्ठ होता है।

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