Hindi, asked by sharmanivas1963, 7 months ago

भावातीत चेतना की विस्तृत मीमांसा कीजिए

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Answered by ry6509156
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भावातीत चेतना का दूसरा नाम भावातीत ध्यान है।यह महर्षि महेश योगी जी द्वारा चलाया गया एक विशेष ध्यान की विधि है।प्रारंभ में यह एक मंत्र के द्वारा आन्तरिक शोधन प्रक्रिया से गुजारा जाता है।इसमें जिन मंत्रों को दिया जाता है वह शक्ति और वैष्णव का मिलाजुला रूप होता है।

उस मंत्र की विशिष्टता यह होती है कि वह अन्तर शोधन में विशेष कारगर होता है।यह प्रारंभ में रक्त का शोधन करना शुरू करता है।फिर हृदयगत शोधन प्रारंभ होता है।ध्यान की इस क्रिया के लिए योगी जी ने प्रात:कालीन समय का चयन किया फिर संध्या वेला को।इसके अन्तराल को २० मिनट तक कम से कम करने के लिए कहा।

इस ध्यान की शिक्षा उन्होंने अनेक भारतीय और गैर भारतीय को दिया।इस ध्यान में सम्पूर्ण भावों को अपने ध्यान में समाहित करके करने के लिए कहा गया है।भाव पर नियंत्रण पा लेने के बाद साधक इस साधना में ऊंचाई अर्जित कर लेता है।

भावातीत ध्यान को जब साधक पा लेता है तब वह भावातीत चेतनता को प्राप्त कर लेता है।यही समाधी की अवस्था है।इसी समाधी को प्राप्त करने के लिए सभी योगी ध्यानी लालायित रहते हैं।

भाव से अतीत जाकर ही कोई भावातीत चेतना को प्राप्त कर सकता है।



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Answered by 6267112480
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