भावना के क्षेत्र में रहस्यवाद है या छायावाद है
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द्विवेदी युग के अनंतर हिंदी कविता में एक ओर छायावाद का विकास हुआ वहीं दूसरी ओर रहस्यवाद और हालावाद का प्रादुर्भाव हुआ। रहस्यवाद भावना की वस्तु है-काव्य का विषय है। ... इसी सत्य की ओर संकेत करते हुए आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने कहा था कि"साधना के क्षेत्र में जो अद्वैतवाद है, वही साहित्य-क्षेत्र में रहस्यवाद है।"
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