Science, asked by bvahak, 10 months ago

भंवर धाराओं से आप क्या समझते हैं? इनसे क्या हानियाँ हैं?

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Answered by Swarnimkumar22
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भंवर धाराएँ-

जब किसी चालक से बढ़ चुम्बकीय फ्लक्स में परिवर्तन किया जाता है तो उस चालक में जल मेंउत्पन्न भँवर के समान चक्करदार प्रेरित धाराएँ उत्पन्न होती हैं जिन्हें भंवर धारा कहते हैं।

भँवर धाराओं से हानियाँ-

ट्रांसफॉर्मर, डायनमो, प्रेरण कुण्डली आदि में क्रोड मुलायम लोहे के बने होते हैं।

इन उपकरणोंमें जब प्रत्यावर्ती धारा प्रवाहित होती है तो क्रोड से बद्ध चुम्बकीय फ्लक्स में परिवर्तन होता है जिसके फलस्वरूप क्रोड में भंवरधाराएँ उत्पन्न हो जाती हैं। इससे ये गर्म हो जाते हैं जिससे विद्युत ऊर्जा का ऊष्मा ऊर्जा के रूप में क्षय होने लगता है।

Answered by Anonymous
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Answer:

किसी चालक के भीतर परिवर्ती चुम्बकीय क्षेत्र होने पर उसमें विद्युत धारा उत्पन्न होती है उसे भँवर धारा (Eddy current) कहते हैं। धारा की ये भवरें चुम्बकीय क्षेत्र पैदा करती हैं और यह चुम्बकीय बाहर से आरोपित चुम्बकीय क्षेत्र के परिवर्तन का विरोध करता है। भँवर धाराओं से उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र आकर्षण, प्रतिकर्षण, ऊष्मन आदि प्रभाव उत्पन्न करता है। बाहर से आरोपित चुम्बकीय क्षेत्र जितना ही तीव्र होगा और उसके परिवर्तन की गति जितनी अधिक होगी और पदार्थ की विद्युत चालकता जितनी अधिक होगी, उतनी ही अधिक मात्रा में भँवर धाराएँ उत्पन्न होंगी तथा उनके कारण उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र का मान भी उतना ही अधिक होगा।

परिणामित्र (ट्रांसफॉर्मर), विद्युत जनित्र एवं विद्युत मोटरों के कोर में भँवर धाराओं के कारण ऊर्जा की हानि होती है और इसके कारण क्रोड गर्म होती है। कोर में भँवरधारा हानि कम करने के लिए क्रोड को पट्टयित (लैमिनेटेड) बनाया जाता है, अर्थात पतली-पतली पट्टियों को मिलाकर कोर बनाई जाती है, न कि एक ठोस कोर (सॉलिड कोर) से।

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