भाववाचक संज्ञा शब्द कैसे बनते हैं? भाववाचक संज्ञा अधिकतर जातिवाचक संज्ञा, विशेषण, क्रिया आदि शब्दों से बनाई जाती हैं जैसे मनुष्य से मनुष्यता, पशु से पशुता, मित्र से मित्रता आदि। भाववाचक संज्ञा के अंत में आई, आस, इमा, त्व, इ, ता, पण, पा, पन, हट आदि शब्दांश पाए जाते हैं। जैसे- दोस्त से दोस्ती, अहं से अहंकार, ऊपर से ऊपरी इत्यादि।
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भाववाचक संज्ञा – वे संज्ञा शब्द जिनसे प्राणी या वस्तु के गुण, दोष, अवस्था, दशा आदि का ज्ञान होता है, वे भाववाचक संज्ञा कहलाते हैं; जैसे-मिठास, बुढ़ापा, थकान, गरीबी, हँसी, साहस, वीरता आदि शब्द भाव, गुण, अवस्था तथा क्रिया के व्यापार का बोध करा रहे हैं। इसलिए ये भाववाचक संज्ञाएँ हैं।
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