Hindi, asked by meenusharma8702, 5 months ago

भ्यास
-निम्नलिखित काव्यांशों को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों क
काव्यांश 1
जय बोलो उस धीरव्रती की, जिसने सोता देश जगाया,
जिसने मिट्टी के पुतलों को वीरों का बाना पहनाया।
जिसने आज़ादी लेने की एक निराली राह निकाली,
और स्वयं उस पर चलने में जिसने अपना शीश चढ़ाया।
घृणा मिटाने को दुनिया से लिखा लहू से जिसने अपने,
'जो कि तुम्हारे हित विष घोले, तुम उसके हित अमृत घोलो। '
कहीं बेड़ियाँ और हथकड़ियाँ, हर्ष मनाओ, मंगल गाओ,
किंतु यहाँ पर लक्ष्य नहीं है, आगे पाँव बढ़ाओ।
आज़ादी वह मूर्ति नहीं है, जो बैठी रहती मंदिर में,
उसकी पूजा करनी है तो नक्षत्रों से होड़ लगाओ।
हल्का फूल नहीं आज़ादी, वह है भारी ज़िम्मेदारी,
उसे उठाने को कंधों के, भुजदंडों के बल को तोलो।​

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Answered by rohitnivale5711
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