bhaav saundarya of poem aao milkar bachaein in 6marks class 11
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जीवन परिचय-निर्मला पुतुल का जन्म सन् 1972 में झारखंड राज्य के दुमका क्षेत्र में एक आदिवासी परिवार में हुआ। इनका प्रारंभिक जीवन बहुत संघर्षमय रहा। इनके पिता व चाचा शिक्षक थे, घर में शिक्षा का माहौल था। इसके बावजूद रोटी की समस्या से जूझने के कारण नियमित अध्ययन बाधित होता रहा। इन्होंने सोचा कि नर्स बनने पर आर्थिक कष्टों से मुक्ति मिल जाएगी। इन्होंने नर्सिग में डिप्लोमा किया तथा काफी समय बाद इग्नू से स्नातक की डिग्री प्राप्त की। इनका संथाली समाज और उसके रागबोध से गहरा जुड़ाव पहले से था, नर्सिग की शिक्षा के समय बाहर की दुनिया से भी परिचय हुआ। दोनों समाजों की क्रिया-प्रतिक्रिया से वह बोध विकसित हुआ जिससे वह अपने परिवेश की वास्तविक स्थिति को समझने में सफल हो सकीं।
रचनाएँ-इनकी रचनाएँ निम्नलिखित हैं-
नगाड़े की तरह बजते शब्द, अपने घर की तलाश में।
साहित्यिक परिचय-कवयित्री ने आदिवासी समाज की विसंगतियों को तल्लीनता से उकेरा है। इनकी कविताओं का केंद्र बिंदु वे स्थितियाँ हैं, जिनमें कड़ी मेहनत के बावजूद खराब दशा, कुरीतियों के कारण बिगड़ती पीढ़ी, थोड़े लाभ के लिए बड़े समझौते, पुरुष वर्चस्व, स्वार्थ के लिए पर्यावरण की हानि, शिक्षित समाज का दिक्कुओं और व्यवसायियों के हाथों की कठपुतली बनना आदि है। वे आदिवासी जीवन के कुछ अनछुए पहलुओं से, कलात्मकता के साथ हमारा परिचय कराती हैं और संथाली समाज के सकारात्मक व नकारात्मक दोनों पहलुओं