Hindi, asked by ashmits744, 7 months ago

भगत जी की प्रसन्ता का मूल कारण क्या था?​

Answers

Answered by sohamshete2007
0

Answer:

जीवन परिचय-प्रसिद्ध उपन्यासकार जैनेंद्र कुमार का जन्म 1905 ई० में अलीगढ़ में हुआ था। बचपन में ही इनके पिता जी का देहांत हो गया तथा इनके मामा ने ही इनका पालन-पोषण किया। इनकी प्रारंभिक शिक्षा-दीक्षा हस्तिनापुर के गुरुकुल में हुई। इन्होंने उच्च शिक्षा काशी हिंदू विश्वविद्यालय, बनारस में ग्रहण की। 1921 ई० में गांधी जी के प्रभाव के कारण इन्होंने पढ़ाई छोड़कर असहयोग अांदोलन में भाग लिया। अंत में ये स्वतंत्र रूप से लिखने लगे। इनकी साहित्य-सेवा के कारण 1984 ई० में इन्हें ‘भारत-भारती’ सम्मान मिला। भारत सरकार ने इन्हें पद्मभूषण से सम्मानित किया। इन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार भी प्राप्त हुआ। इनका देहांत सन 1990 में दिल्ली में हुआ।

रचनाएँ – इनकी रचनाएँ निम्नलिखित हैं।

उपन्यास – परख, अनाम स्वामी, सुनीता, त्यागपत्र, कल्याणी, जयवदर्धन, मुक्तिबोध ।

कहानी – संग्रह-वातायन, एक रात, दो चिड़ियाँ फाँसी, नीलम देश की राजकन्या, पाजेब।

निबंध-संग्रह – प्रस्तुत प्रश्न, जड़ की बात, पूर्वोदय, साहित्य का श्रेय और प्रेय, सोच-विचार, समय और हम।

साहित्यिक विशेषताएँ – हिंदी कथा साहित्य में प्रेमचंद के बाद सबसे महत्वपूर्ण कथाकार के रूप में जैनेंद्र कुमार प्रतिष्ठित हुए।इन्होंने अपने उपन्यासों व कहानियों के माध्यम से हिंदी में एक सशक्त मनोवैज्ञानिक कथा-धारा का प्रवर्तन किया।

जैनेंद्र की पहचान अत्यंत गंभीर चिंतक के रूप में रही। इन्होंने सरल व अनौपचारिक शैली में समाज, राजनीति, अर्थनीति एवं दर्शन से संबंधित गहन प्रश्नों को सुलझाने की कोशिश की है। ये गांधीवादी विचारधारा से प्रभावित थे। इन्होंने गांधीवादी चिंतन दृष्टि का सरल व सहज उपयोग जीवन-जगत से जुड़े प्रश्नों के संदर्भ में किया है। ऐसा उपयोग अन्यत्र दुर्लभ है। इन्होंने गांधीवादी सिद्धांतोंजैसे सत्य, अहिंसा, आत्मसमर्पण आदि-को अपनी रचनाओं में मुखर रूप से अभिव्यक्त किया है। भाषा-शैली-जैनेंद्र जी की भाषा-शैली अत्यंत सरल, सहज व भावानुकूल है जिसमें तत्सम शब्दों का प्रयोग बहुलता से हुआ है परंतु तद्भव और उर्दू-फ़ारसी भाषा के शब्दों का प्रयोग अत्यंत सहजता से हुआ है।

Similar questions