Hindi, asked by riya962891, 4 months ago

भगतिन मौसी


चंदन तिलक लगाकर ओढ़ा
राम नाम का शाला
कठी पहने आई बिल्ली
लेकर तुलसी माल।
बोली- "चूहो! मैं जाऊँगी
करने तीरथ धाम।
आकर चरन छूओ मौसी के
झुककर करो प्रणाम।
बिल के अंदर क्यों बैठे हो?
आओ मेरे पास।
में भगतिन बन गई आज से
कर लो तुम विश्वास
बूढ़ा चूहा अंदर से ही
बोला खाँस-खखार।
'नहीं तुम्हारी बातों में है
मौसी कुछ भी सार।
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riya962891: pls give me the ans of this question pls anyone give me the summary of this poem pls

Answers

Answered by lovelyguliani57009
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Explanation:

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