भगत सवेरे-सवेरे अपना गीत कहाँ गाना शुरू कर देते थे?
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पोखरे के ऊंचे भिंड पर.......
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भगत सवेरे-सवेरे अपना गीत पोखरे के ऊंचे भिंडे पर गाना शुरू कर देते थे।
- बाल गोविन भगत कबीर के पद बहुत मधुर स्वर में गाया करते थे।
- आषाढ़ के दिनों में जब सारा गांव खेतों में काम करता था, बाल गोविन भगत पूरा शरीर कीचड़ में लपेटे खेत में रोपनी करते हुए अपने मधुर गानों को गाते।
- भादों की अंधियारी में उनकी खंजरी बजती थीं।
- सारा संसार जब सोया हुआ होता उनका
संगीत जागता था।
- कार्तिक महीने में उनकी प्रभातियां शुरू हो जाती। सुबह वे नदी - स्नान को जाते तथा लौटकर पोखरे के ऊंचे भिंडे पर अपनी खंजरी लेकर बैठ जाते और अपना गाना शुरू कर देते।
- गर्मियों में अपने घर के आंगन में आसन जमा देते।
#SPJ3
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