भगवान के डाकिये कविता के आधार पर ईश्वर के संदेश को विश्वबंधुत्व के आधार पर स्पृष्ट कीजिये ?
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इस कविता के द्वारा कवि कहते हैं कि भगवान बादलो के द्वारा पेड़ – पौधों, पहाड़ो के लिए सन्देश भेजते हैं। बादलो द्वारा बरसाया जल उनके लिए सुखद सन्देश लाता है। कवि पूरे विश्व को एक मानते हैं क्योंकि प्रकृति ने दो देशो में फर्क नहीं समझा। वे कहते हैं एक देश से दूसरे देश को जाती सुगंध को कोई बाँध नहीं सकता है। इस कविता की भाषा तत्सम, तदभव शब्दों से युक्त सरल भाषा है।
भगवान बादलों के द्वारा पेड़-पौधों, पहाड़ों के लिए सन्देश भेजते हैं। हमारे जो प्रकृति है वो किसी तरह से भेदभाव नहीं करती एक देश से दूसरे देश बादल अपने पानी लेकर जाते हैं और न जाने कहाँ पर जाकर बरसाते हैं इसी तरह से पेड़-पौधों की सुंगध, हवा, और पहाड़ों के सन्देश एक दूसरे तक पहुँचते हैं। जब एक देश के बाद दूसरे पर बादल जाकर बरसते हैं तो इससे यही साबित होता है कि वो वहाँ का सन्देश लेकर आऐ हैं। वास्तम में पूरी दुनिया ही एक है ईश्वर ने उसे बनाया है। हमें उसमें भेदभाव नहीं करना चाहिए क्योंकि प्रकृति ने दो देशों में फर्क नहीं किया है उन्होंने कोई र्फक नहीं समझा है फिर हम इंसान क्यों ऐसा करते हैं, हमें ऐसा नहीं करना चाहिए। हमें किसी तरह के भेदभाव अपने दिलो-दिमाग में नहीं रखना चाहिए। मानवता और प्रेम की भावना को बढ़ावा देना चाहिए। यह सुन्दर कविता इसी भाव को लेकर लिखी गई है।