भगवान का डाकिया कविता का स्पष्ट
Answers
कविता की व्याख्या
Stanza 1
पक्षी और बादल,
ये भगवान के डाकिए हैं
जो एक महादेश से
दूसरें महादेश को जाते हैं।
हम तो समझ नहीं पाते हैं
मगर उनकी लाई चिट्ठियाँ
पेड़, पौधे, पानी और पहाड़
बाँचते हैं।
व्याख्या - प्रस्तुत पंक्तियों में कवि दिनकर जी ने बताया है कि पक्षी और बादल भगवान के डाकिये है। जिस प्रकार साधारणत: डाकिये किसी व्यक्ति का भेजा हुआ सन्देश दूसरे व्यक्ति तक पहुंचाते ,उसी तरह बादल और पक्षी भी एक एक महादेश का सन्देश दूसरे महादेश तक पहुँचातें है। मनुष्य अपनी संकीर्ण विचारों के कारण भगवान की भेजी हुई चिट्ठियाँ समझ नहीं पाता है ,लेकिन पेड़ ,पौधे ,पानी और पहाड़ उनके संदेशों को समझ पाते है और पूरे धरती को ईश्वर के भेजे हुए संदेशों को सुनाते है।
Stanza 2
हम तो केवल यह आँकते हैं
कि एक देश की धरती
दूसरे देश को सुगंध भेजती है।
और वह सौरभ हवा में तैरते हुए
पक्षियों की पाँखों पर तिरता है।
और एक देश का भाप
दूसरे देश में पानी
बनकर गिरता है।
व्याख्या - कवि के अनुसार मनुष्य बहुत ही क्षुद्र प्रकृति का होता है और वह अपनी छोटी सीमाओं में रहकर काम करता है। इसके विपरीत धरती पर व्याप्त फूलों की महक हवा में तैरती हुई ,पक्षियों के पंखों पर सवार होकर एक देश से दूसरे देश पर फैलता रहता है। एक देश का भाप ,दूसरे देश में जाकर पानी बनकर बरसात करवाता है। इंसानों की तरह बादल एक सीमा में बंधें नहीं रहते हैं और न ही अपने पराये का भेदभाव ही रखते हैं। पेड़ ,पानी ,बादल और पहाड़ पूरी धरती को अपना घर समझते है और किसी भी प्रकार की संकीर्णता में न रहने का सन्देश देते है।