'भगवान के गुण अनंत हैं, उनका वर्णन नहीं किया जा सकता'- यही भाव व्यक्त करते हुए कबीरदास कहते हैं कि भगवान के अनंत गुणों का बखान नहीं किया जा सकता, उन्हें संपूर्ण रूप से
लिखकर भी प्रकट नहीं किया जा सकता। इसके लिए यदि सातों समुद्रों की स्याही बनाई जाए, सारे जंगलों के पेड़ों की कलमें बनाई जाएँ तथा समस्त पृथ्वी को कागज़ के रूप में प्रयोग कर लिया जाए तब भी ईश्वर के गुणों का वर्णन नहीं किया जा सकता, क्योंकि ये सब ईश्वर के अनंत गुणों का वर्णन करने
के लिए पर्याप्त नहीं हैं।
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'भगवान के गुण अनंत हैं, उनका वर्णन नहीं किया जा सकता'- यही भाव व्यक्त करते हुए कबीरदास कहते हैं कि भगवान के अनंत गुणों का बखान नहीं किया जा सकता, उन्हें संपूर्ण रूप सेलिखकर भी प्रकट नहीं किया जा सकता।
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