भगवान प्रभुता से दूर क्यों हो जाते है
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¿ भगवान प्रभुता से दूर क्यों हो जाते है ?
✎... भगवान प्रभुता से दूर इसलिये हो जाते हैं, क्योंकि प्रभुता यानि अहंकार के साथ भगवान नही रह सकते। अहंकार भरे मन में भगवान वास नही कर सकते इसलिये भगवान प्रभुता से दूर हो जाते हैं।
लघुता से प्रभुता मिले, प्रभुता से प्रभु दूरि।
चींटी ले शक्कर चली, हाथी के सिर धूरि।।
अर्थात कबीर कहते हैं कि लघुता से ही हमें प्रभुता यानी ईश्वरत्व मिलता है, वहीं प्रभुता यानि अहंकार हो तो ईश्वर दूर हो जाते है। जहाँ पर प्रभुता यानी ईश्वरत्व होता है, वहाँ से अहंकार दूर हो जाता है। ईश्वर और अंहाकर एक जगह पर नहीं रह सकते। इसीलिए लघुता यानी सादगी युक्ति सरल जीवन ही सफल जीवन होता है और उससे हमारे अंदर प्रभुता वाला अहंकार का भाव नहीं पनपता और हमारा व्यवहार विनम्र एवं मधुर बना रहता है। जिस प्रकार चींटी छोटे होने पर भी शक्कर लेकर चलती है जबकि हाथी इतना विशाल होने पर भी उसके सिर में अक्सर धूल ही होती है, यानी बड़प्पन व्यवहार के कारण होता है, आकार के कारण नहीं होता।
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