भगवान राम के बारे में अपने विचार रखिये।
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दशहरे के नायक राम विश्व संस्कृति के अप्रतिम महानायक हैं। वह उन सभी सुलक्षणों, सद्गुणों, शुभ आचारणों और धर्मों से युक्त हैं, जो किसी महामानव में होने चाहिए। राम परम ऐश्वर्यशाली हैं, इसलिए वह ईश्वर हैं। वह सभी तरह की मर्यादाओं के पालक और संवाहक हैं, इसलिए वह मर्यादा पुरुषोत्तम हैं। शुभत्व और परम पवित्र हैं, इसलिए वह दागरहित हैं, यानी उनमें वह सब है, जो एक आदर्श समाज के प्रेरणा पुरुष में होना चाहिए। राम वेद पढ़ने वाले थे। उनका सारा जीवन वेद के अनुकूल था। रामचरितमानस की इस पंक्ति- वेद पढ़हि जनु वटु समुदाई का भावार्थ है कि वेद पढ़ने वाला मनुष्य ज्ञानवान बनता है। राम का जीवन सुभाषितों से परिपूर्ण इसलिए था, क्योंकि वह वेद का स्वाध्याय करने वाले थे और वेद के पथ पर ही चलने वाले थे। राम नाम का ध्यान मे लेना शुभ और रावण नाम का स्मरण अशुभ माना जाता है। हम राम नाम का स्मरण करते ही यह धारणा बना लेते हैं कि राम नाम के केवल जप से कल्याण हो जाता है। राम हमारी चेतना के अंग हैं। तुलसीदास जी ने मानव मूल्यों की महत्ता का वर्णन राम के माध्यम से किया है। एक संपूर्ण मानव राम, एक आदर्श मित्र राम, एक आदर्श पुत्र राम, एक आदर्श भाई राम, एक आदर्श पति राम, एक आदर्श शिष्य राम, एक आदर्श राजा राम और एक आदर्श स्वामी राम के रूप में तुलसी जी ने राम के गुणों का वर्णन किया है। ऐसे राम को भला कौन भुला सकता है? मानस में युगानुरूप धर्म के चार चरण बताए गए हैं- सत्य, दया, तप और दान। ये मानव को संपूर्णता दिलाने वाले मूल्य हैं, जिनकी जरूरत हर युग में जन-गण को होती है। रामराज में ये चारों चरण मौजूद थे।