भगवान रामचन्द्र ने खुद अग्नि परीक्षा क्यों नहीं दी जबकी वे भी माता सीता से अलग रह रहे थे?
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सीता जी की अग्नि परीक्षा उनलोगों के हाथ में एक ऐसा हथियार है जो सनातन या हिन्दू धर्म की मान्यताओं को नीचा दिखाना चाहते हैं। आधुनिक परिप्रेक्ष्य में देखा जाए तो ये घटना महिलाओं को नीचा दिखाने वाली लगती है। लेकिन इस घटना को सकारात्मक रूप से देखने के लिए भी कुछ तर्क हैं (कुछ तो शास्त्र सम्मत भी हैं) -
सबसे पहली बात तो है भगवान की लीला। मायापति राम का पृथ्वी पर आना और एक साधारण मनुष्य के रूप में रहना उनकी लीलाओं का ही हिस्सा था। कभी वो सीता रूपी अपनी पत्नी लक्ष्मी के लिए वन में भटकते फिर रहे थे, कभी उसके लिए उन्होंने युद्घ किया, और फिर उसी पत्नी को अग्नि में कूद जाने को कहा। ये सब विचित्र लगता है।परंतु अगर इसे प्रभु की लीला समझें तो कोई परेशानी नहीं है।
राम जानते थे कि वो एक दिन राजा बनेंगे और हमेशा अपनी प्रजा के सवालों से घिरे रहेंगे। इसलिए उन्होंने और सीता जी ने ये निर्णय लिया कि अग्निपरीक्षा शायद लोगों को उनके कुछ सवालों का जवाब दे दे।
तुलसीदास की रामचरित मानस में ये समझाया गया है कि सीता जी की अग्निपरीक्षा के पीछे का राज़ क्या है। जब रावण सीता जी का अपहरण करने के लिए आने वाला था तो राम ने सीता से कहा कि आप अग्नि के शरण में चले जाइये। सीता जी ने अपनी एक छवि बना दी और खुद अग्नि की शरण में चली गईं। जब युद्व समाप्त हो गया तो सीता जी की छवि अग्नि में जा कर भस्म हो गई और असली सीता जी उसमे से बाहर निकल आई। जिन लोगों ने रामचरितमानस को पढ़ा है उनको ये प्रसंग ध्यान होंगे।
सबसे पहली बात तो है भगवान की लीला। मायापति राम का पृथ्वी पर आना और एक साधारण मनुष्य के रूप में रहना उनकी लीलाओं का ही हिस्सा था। कभी वो सीता रूपी अपनी पत्नी लक्ष्मी के लिए वन में भटकते फिर रहे थे, कभी उसके लिए उन्होंने युद्घ किया, और फिर उसी पत्नी को अग्नि में कूद जाने को कहा। ये सब विचित्र लगता है।परंतु अगर इसे प्रभु की लीला समझें तो कोई परेशानी नहीं है।
राम जानते थे कि वो एक दिन राजा बनेंगे और हमेशा अपनी प्रजा के सवालों से घिरे रहेंगे। इसलिए उन्होंने और सीता जी ने ये निर्णय लिया कि अग्निपरीक्षा शायद लोगों को उनके कुछ सवालों का जवाब दे दे।
तुलसीदास की रामचरित मानस में ये समझाया गया है कि सीता जी की अग्निपरीक्षा के पीछे का राज़ क्या है। जब रावण सीता जी का अपहरण करने के लिए आने वाला था तो राम ने सीता से कहा कि आप अग्नि के शरण में चले जाइये। सीता जी ने अपनी एक छवि बना दी और खुद अग्नि की शरण में चली गईं। जब युद्व समाप्त हो गया तो सीता जी की छवि अग्नि में जा कर भस्म हो गई और असली सीता जी उसमे से बाहर निकल आई। जिन लोगों ने रामचरितमानस को पढ़ा है उनको ये प्रसंग ध्यान होंगे।
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