भगवती चरण वर्मा की कविता
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भगवतीचरण वर्मा की कविता 'तुम अपनी हो, जग अपना है'
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भगवतीचरण वर्मा की कविता 'तुम अपनी हो, जग अपना है'
तुम अपनी हो, जग अपना है किसका किस पर अधिकार प्रिये फिर दुविधा का क्या काम यहाँ इस पार या कि उस पार प्रिये । ... इस पार या कि उस पार प्रिये । दिन का रक्तांचल छोड़ चली । कल पर किसका अधिकार प्रिये ।
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