bhagvadgeeta ke shlok
AmanatAhluwalia:
means
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Isvarah sarva bhutanam
Hrid dese Arjuna tisthati|
Bhramayan sarva bhutani
Yantrarudhani Mayaya||
Hrid dese Arjuna tisthati|
Bhramayan sarva bhutani
Yantrarudhani Mayaya||
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भोपाल। भारत की सनातन संस्कृति में श्रीमद्भगवद्गीता न केवल पूज्य बल्कि अनुकरणीय भी है। इस ग्रंथ में उल्लिखित उपदेश इसके 18 अध्यायों में लगभग 720 श्लोकों में हैं। श्रीमद्भगवद्गीता दुनिया के वैसे श्रेष्ठ ग्रंथों में है, जो न केवल सबसे ज्यादा पढ़ी जाती है, बल्कि कही और सुनी भी जाती है। कहते हैं जीवन के हर पहलू को गीता से जोड़कर व्याख्या की जा सकती है। भोपाल के जाने माने ज्योतिषाचार्य और राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान में प्रोफेसर प्रद्युम्न पाठक ने गीता के 5 ऐसे श्लोकों का महत्त्व बताया जो हर मनुष्य का जीवन बदल सकते हैं। आइए हम आपको बताते हैं इन श्लोकों का मतलब...
(1) नैनं छिद्रन्ति शस्त्राणि नैनं दहति पावक: ।
न चैनं क्लेदयन्त्यापो न शोषयति मारुत ॥
(द्वितीय अध्याय, श्लोक 23)
इस श्लोक का अर्थ है: आत्मा को न शस्त्र काट सकते हैं, न आग उसे जला सकती है। न पानी उसे भिगो सकता है, न हवा उसे सुखा सकती है। (यहां भगवान श्रीकृष्ण ने आत्मा के अजर-अमर और शाश्वत होने की बात की है।)
Can. U plz add his to brainliest✌️
(1) नैनं छिद्रन्ति शस्त्राणि नैनं दहति पावक: ।
न चैनं क्लेदयन्त्यापो न शोषयति मारुत ॥
(द्वितीय अध्याय, श्लोक 23)
इस श्लोक का अर्थ है: आत्मा को न शस्त्र काट सकते हैं, न आग उसे जला सकती है। न पानी उसे भिगो सकता है, न हवा उसे सुखा सकती है। (यहां भगवान श्रीकृष्ण ने आत्मा के अजर-अमर और शाश्वत होने की बात की है।)
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