bhagvan aur bhakt ke sabandh Ka varnan kijiye
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वह गुणों की प्राप्ति कर लेता है जैसे पानी में घिसकर चंदनकर रंग निखरता है उसी प्रकार भक्तों की भक्ति से प्रभु का महत्व बढ़ जाता है भक्त और भगवान इतने समीप आ जाते हैं कि भक्तों के अंग भंग में ईश्वर की सुगंध समा जाती है भक्तों का रोम-रोम ईश्वर भक्ति से प्रसन्न हो जाता है
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