“bhagvan ki bhakti ka arth purn smaran hai” Meerabai dwara Rachit pado kr adhar par spasht kijiye
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मीरा इस संसार को नाशवन मानती है। उनका कहना है कि धरती और आकाश के बीच जो कुछ भी दृश्यमान जगत है वह एक दिन नष्ट हो जाना है। अत: वह अपने मन को प्रेरणा देती है कि वह प्रभु के अविनाशी चरणों का भजन करे। उन्हीं की शरण में जाने से आवागमन के चक्र से मुक्ति मिलेगी।
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