Hindi, asked by asathunder, 1 year ago

bhagvan ki upasna sache hriday se ki jati hai na ki tat bat aur adambar se iss bhavna ko darshane vali kisi kavita ka sangrah kar kaksha me pradarshan kijiye

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Answered by Genu
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here is the poem you wanted
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Answered by Anonymous
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' भगवान की सेवा सच्चे मन से किया जाता है,

न कि आडंबरों से । '

० इस भावना को दर्शाने के लिए एक दोहा

निम्नलिखित है :-

" पाथर पूजे हरि मिले, तो मैं पूजू पहाड़ !

घर की चाकी कोई ना पूजे, जाको पीस खाए

संसार !! "

• प्रस्तुत पंक्ति ' कबीरदास के दोहे ' से

अवतरित है । अतः इनकी रचना ' कबीरदास '

ने किया है ।

• अर्थ :

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प्रस्तुत पंक्ति में कबीर कह रहे है कि , अगर

पत्थर को पूजने से हरि की प्राप्ति होती है ,

भगवान् अर्थात् प्रभु की प्राप्ति होती है , तो

फिर मैं सबसे बड़ा पत्थर अर्थात् पहाड़ की

पूजा करता । इससे मुझे भगवान् की प्राप्ति

जल्दी हो जाएगी । परन्तु ऐसा नहीं होता है ।

यह सब झूठे आडंबर मात्र है ।

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