Hindi, asked by abhi9494, 1 year ago

bhagwan ki upasana sachhe hriday se ki jati hai na ki taat baat aur aadambaron se "
is bhavana ko darshane vaali kisi kavitha ka sangrah kariye

Answers

Answered by Chirpy
45

ठुकरा दो या प्यार करो

    - सुभद्रा कुमारी चौहान

देव! तुम्हारे कई उपासक कई ढंग से आते हैं
सेवा में बहुमूल्य भेंट वे कई रंग की लाते हैं

धूमधाम से साज-बाज से वे मंदिर में आते हैं
मुक्तामणि बहुमुल्य वस्तुऐं लाकर तुम्हें चढ़ाते हैं

मैं ही हूँ गरीबिनी ऐसी जो कुछ साथ नहीं लायी
फिर भी साहस कर मंदिर में पूजा करने चली आयी

धूप-दीप-नैवेद्य नहीं है झांकी का श्रृंगार नहीं
हाय! गले में पहनाने को फूलों का भी हार नहीं

कैसे करूँ कीर्तन, मेरे स्वर में है माधुर्य नहीं
मन का भाव प्रकट करने को वाणी में चातुर्य नहीं

नहीं दान है, नहीं दक्षिणा खाली हाथ चली आयी
पूजा की विधि नहीं जानती, फिर भी नाथ चली आयी

पूजा और पुजापा प्रभुवर इसी पुजारिन को समझो
दान-दक्षिणा और निछावर इसी भिखारिन को समझो

मैं उनमत्त प्रेम की प्यासी हृदय दिखाने आयी हूँ
जो कुछ है, वह यही पास है, इसे चढ़ाने आयी हूँ

चरणों पर अर्पित है, इसको चाहो तो स्वीकार करो
यह तो वस्तु तुम्हारी ही है ठुकरा दो या प्यार करो





Answered by bhatiamona
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Answer:

भगवान की उपासना हमें हृदय से करनी चाहिए बिना मतलब के अंधविश्वासों में नहीं पड़ना चाहिए | यह सब पाखंड करने से भगवान नहीं प्राप्त होते |

भगवान की उपासना और प्रार्थना जीवन में सफलता प्राप्त करने का रास्ता है।  

भगवान हमारे हृदय में वास करते है , हम कोई भी काम करते है , हमारे अच्छे-बुरे में हमेशा साथ है| ईश्वर को हर जगह ढूंढना और ऐसे पूजा करना व्यर्थ है हमें ईश्वर ऐसे नहीं मिलने वाले | ईश्वर तक पहुंचने के लिए हमें अच्छे कर्म करने होगे | मनुष्य जीवन मिला है हमें इसको अच्छे से जीना चाहिए | ऐसे ही अंधविश्वासों में नहीं पड़ना चाहिए |  

ईश्वर को कण-कण में ढूंढने से अच्छा अच्छे कामों और अच्छे कर्म में लगाना चाहिए |

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