bhagy aur karm me aap kise shrest manthe hi
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Karma ko kyunki Jo jaisa karma karta hai WO waisa bhagya pata hai.
Acche karm karne walo ka bhagya accha hota hai.
Acche karm karne walo ka bhagya accha hota hai.
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भाग्य और कर्म मे आप किसे श्रेस्त मानते हैं
भाग्य एक बहुत अच्छा देन है जिसे भगवान ने मनुष्य को दिया है। भाग्य अगर हमारा साथ देता है तो हम लोगों को ज्यादा तकलीफ उठाना नहीं पड़ता है। थोडासा कर्म और थोडसी मेहनत से सब काम पुर हो जाते हैं। नतीजे भी अच्छे होंगे। लेकिन जब किस्मत यानी भाग्य हमारा साथ छोड़ देता है तो छोटे से छोटे काम भी मुश्किल हो जाते हैं। अगर हम अपने भाग्य पर ही सब कुछ छोड़ देंगे तो कुछ भी नहीं होगा। हम अटक जायेंगे। और हम अपने व्यापक क्षेत्र में विसेषाज्ञ नहीं बन पाते हैं। इस कारण से हम खुद अपने काम भी नहीं कर पाते हैं।
कर्म का मतलब है कि हम अपना फ़र्ज़ निभाते जाये। जो काम हमें करना होता है उन्हे खुद करलेना चाहिये। लेकिन बचपन से आगा हम कर्म करने में विश्वास रखते हैं और श्रम करने में अपना मन लगाते हैं तो अच्छा है। जल्द से जल्द बड़े आदमी तो नहीं हो जाते, लेकिन अपने श्रम का फल ठीक मिल जाता हैं। कुछ सालों में हम अपने क्षेत्र में प्रावीण्यता और नाम भी कमा लेते हैं। इस से अपना आत्मविश्वास बढ़ता है। अगर भाग्य हमारा साथ दें या न दें , हम हमेश आयेज बढ़ते ही जायेंगे। कोई भी रुकावट से हम डरेंगे नहीं और रुकेंगे नहीं। अगर भाग्य भी अपने साथ देता हैं तो बस आसमान छू जायेंगे।
इन कारणों से हम कह सकते हैं कि भाग्य से कर्म श्रेष्ठ है।
भाग्य एक बहुत अच्छा देन है जिसे भगवान ने मनुष्य को दिया है। भाग्य अगर हमारा साथ देता है तो हम लोगों को ज्यादा तकलीफ उठाना नहीं पड़ता है। थोडासा कर्म और थोडसी मेहनत से सब काम पुर हो जाते हैं। नतीजे भी अच्छे होंगे। लेकिन जब किस्मत यानी भाग्य हमारा साथ छोड़ देता है तो छोटे से छोटे काम भी मुश्किल हो जाते हैं। अगर हम अपने भाग्य पर ही सब कुछ छोड़ देंगे तो कुछ भी नहीं होगा। हम अटक जायेंगे। और हम अपने व्यापक क्षेत्र में विसेषाज्ञ नहीं बन पाते हैं। इस कारण से हम खुद अपने काम भी नहीं कर पाते हैं।
कर्म का मतलब है कि हम अपना फ़र्ज़ निभाते जाये। जो काम हमें करना होता है उन्हे खुद करलेना चाहिये। लेकिन बचपन से आगा हम कर्म करने में विश्वास रखते हैं और श्रम करने में अपना मन लगाते हैं तो अच्छा है। जल्द से जल्द बड़े आदमी तो नहीं हो जाते, लेकिन अपने श्रम का फल ठीक मिल जाता हैं। कुछ सालों में हम अपने क्षेत्र में प्रावीण्यता और नाम भी कमा लेते हैं। इस से अपना आत्मविश्वास बढ़ता है। अगर भाग्य हमारा साथ दें या न दें , हम हमेश आयेज बढ़ते ही जायेंगे। कोई भी रुकावट से हम डरेंगे नहीं और रुकेंगे नहीं। अगर भाग्य भी अपने साथ देता हैं तो बस आसमान छू जायेंगे।
इन कारणों से हम कह सकते हैं कि भाग्य से कर्म श्रेष्ठ है।
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