History, asked by ashishtopno631, 2 months ago

भक्ति आंदोलन के प्रभाव एवं महत्त्व​

Answers

Answered by aashritaarora7
1

Answer:

भारत में भक्ति आंदोलन के उदय के कारण-

मुस्लिम शासकों के बर्बर शासन से कुंठित एवं उनके अत्याचारों से त्रस्त हिन्दू जनता ने ईश्वर की शरण में अपने को अधिक सुरक्षित महसूस कर भक्ति मार्ग का सहारा लिया।

हिन्दू एवं मुस्लिम जनता के आपस में सामाजिक एवं सांस्कृतिक संपर्क से दोनों के मध्य सद्भाव, सहानुभूति एवं सहयोग की भावना का विकास हुआ। इस कारण से भी भक्ति आंदोलन के विकास में सहयोग मिला।

सूफी संतों की उदार एवं सहिष्णुता की भावना तथा एकेश्वरवाद में उनकी प्रबल निष्ठा ने हिन्दुओं को प्रभावित किया; जिस कारण से हिन्दू, इस्लाम के सिद्धांतों के निकट सम्पर्क में आये।

हिन्दुओं ने सूफियों की तरह एकेश्वरवाद में विश्वास करते हुए ऊँच-नीच एवं जात-पात का विरोध किया। शंकराचार्य का ज्ञान मार्ग व अद्वैतवाद अब साधारण जनता के लिये बोधगम्य नहीं रह गया था।

मुस्लिम शासकों द्वार मूर्तियों को नष्ट एवं अपवित्र कर देने के कारण, बिना मूर्ति एवं मंदिर के ईश्वर की आराधना के प्रति लोगों का झुकाव बढ़ा, जिसके लिये उन्हें भक्ति मार्ग का सहारा लेना पड़ा।

तत्कालीन भारतीय समाज की शोषणकारी वर्ण व्यवस्था के कारण निचले वर्णों की स्थिति अत्यंत दयनीय थी। भक्ति-संतों द्वारा दिये गए सामाजिक सौहार्द्र और सद्भाव के संदेश ने लोगों को प्रभावित किया।

भक्ति आंदोलन का महत्त्व-

भक्ति आंदोलन के संतों ने लोगों के सामने कर्मकांडों से मुक्त जीवन का ऐसा लक्ष्य रखा, जिसमें ब्राह्मणों द्वारा लोगों के शोषण का कोई स्थान नहीं था।

भक्ति आंदोलन के कई संतों ने हिन्दू-मुस्लिम एकता पर बल दिया, जिससे इन समुदायों के मध्य सहिष्णुता और सद्भाव की स्थापना हुई।

भक्तिकालीन संतों ने क्षेत्रीय भाषों की उन्नति में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया। हिंदी, पंजाबी, तेलुगू, कन्नड़, बंगला आदि भाषाओं में इन्होंने अपनी भक्तिपरक रचनाएँ कीं।

भक्ति आंदोलन के प्रभाव से जाति-बंधन की जटिलता कुछ हद तक समाप्त हुई। फलस्वरूप दलित व निम्न वर्ग के लोगों में भी आत्मसम्मान की भावना जागी।

भक्तिकालीन आंदोलन ने कर्मकांड रहित समतामूलक समाज की स्थपाना के लिये आधार तैयार किया।

निष्कर्षतः भक्ति आंदोलन से हिन्दू-मुस्लिम सभ्यताओं का संपर्क हुआ और दोनों के दृष्टिकोण में परिवर्तन आया। भक्तिमार्गी संतों ने समता का प्रचार किया और सभी धर्मों के लोगों की आध्यात्मिक और नैतिक उन्नति के लिये प्रयास किये।

Answered by jyotikamishra81096
0

Answer:

भक्ति आंदोलन का सबसे महत्वपूर्ण सामाजिक प्रभाव यह था कि भक्ति अनुयायियों ने जाति भेद को खारिज कर दिया। उन्होंने समानता के आधार पर एक साथ मिलाना शुरू कर दिया। भक्ति आंदोलन ने जाति के बंधन को ढीला करने की कोशिश की। समाज और धर्मो के विभिन्न वर्गों के बीच सद्भाव की भावना को प्रोत्साहन मिला।

Similar questions