भक्ति भावना दर्शाने वाली किसी कविता का संग्रह कर कक्षा में प्रदर्शन कीजिए।
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Question:- भक्ति भावना दर्शाने वाली किसी कविता का संग्रह कीजिए⤵
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भक्ति भावना जिसके मन और दिल में होमवर्क निकट नहीं आवे हमेशा सुखी रहे वे और भगवान का हाथ हमेशा उनके सर पर रहे हैं.भक्ति भावना से दूसरों की जो सहायता करें वह संसार में सबसे सुखी व्यक्ति होगे. भक्ति भावना से जो प्रार्थना करें उसे मिल जावे.
भक्ति भावना दर्शाने वाली किसी कविता का संग्रह कर कक्षा में प्रदर्शन कीजिए।
भक्ति भावना दर्शाने वाले एक कविता इस प्रकार होगी :
पायो जी मैने राम रतन धन पायो
वस्तु अमौलिक दी मेरे सतगुरु, किरपा करि अपनायो
पायो जी मैने…
जनम जनम की पूंजी पाई, जग में सभी खोवायो
पायो जी मैने…
खर्च ना खूटे वाको चोर ना लूटे, दिन दिन बढ़त सवायो
पायो जी मैने…
सत की नांव, खेवटिया सतगुरु, भवसागर तर आयो
पायो जी मैने…
मीरा के प्रभु गिरधर नागर, हरख हरख जस गायो
पायो जी मैने राम रतन धन पायो
भक्ति भावना से ओतप्रोत ये कविता मीराबई द्वारा रचित की गई है। इस का भावार्थ इस प्रकार होगा :
भावार्थ : मीराबाई कहती है कि मुझे तो राम रतन धन मिल गया है अर्थात मुझे राम के रतन वाला धन मिल गया है। मेरे सतगुरु ने मुझे राम रूपी रतन धन देकर मुझे अनुमति अनमोल वस्तु प्रदान की और मुझ पर अपनी कृपा बरसाए। राम रूपी इस धर्म को पाकर मुझे जन्म-जन्म की पूंजी मिल गई है। मैंने जग में जो कुछ खोया था, इस पूंजी के सामने वह कुछ भी नहीं है। मेरे पास ऐसी पूंजी है जिसे ना कोई चोर लूट सकता और इसे जितना खर्च करो, यह कम नहीं होगी, मेरी यह पूंजी दिन-ब-दिन बढ़ती जाएगी।
मीराबाई कहती है कि सत्य की नाव में बैठकर मैं भवसागर से पार पहुंच गई हूँ। इस नाव को खेने वाले मेरे सतगुरु हैं, जिन्होंने मुझे भवसागर से पार लगाया है। अर्थात सतगुरु ने अपने ज्ञान से मेरी अज्ञानता का दूर करके ईश्वर को समझने का ज्ञान मुझे कराया था।
मीराबाई कहती हैं, मेरे तो प्रभु श्री कृष्ण है, जिनके भजन में खुशी-खुशी गाती हूँ।
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