भक्ति के भाव सुमन poem explained pls
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bhakti mein bhav suman I think it would be showing the devotion
रैदास जी इस पद में कहना चाह रहे है कि अब कैसे छुटै राम-नाम रट लागी अर्थात मुझे तो अब हर
वक्त राम-नाम , ईश्वर को स्मरण याद करने की आदत लग चुकी है।
आगे की पंक्तियों में वो कह रहे कि प्रभु जी आपका और मेरा रिश्ता तो चंदन और पानी की तरह है
क्योंकि जिस प्रकार चंदन ,पानी में मिलकर उसकी खुशबू हर तरफ फैला देता है वैसे ही आप और में
दोनो के मिलने से सब जगह खुशबू फैल जाती है।
दूसरी पंक्ति में कवि कह रहे है कि प्रभु जी आप वन में छाए वो घने बादल हो जिसको देखकर मोर
जैसे कि मैं खुशी से नाचने लगता है वैसे ही मैं चकोर पक्षी हूं जो कि स्वाति नक्षत्र में उस पूरी रात
चांद को देखता रहता है उसी प्रकार आप मेरे चांद हो और मैं भी इसी प्रकार आपके दर्शन के इंतजार
में रहता हूं
अगली पंक्ति में रैदास जी कह रह है कि प्रभु जी आप दीपक हो मैं उसमें जलने वाली लौ-बाती जिस
प्रकार दीपक जलकर सब तरफ रोशनी फैलाता है उसी तरह से आप और मेरा रिश्ता भी इसी प्रकार है