भक्ति के जीवन के दूसरे परिच्छेद
भी
सुरव
अपेक्षा अधिक है?
भ
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भक्तिन के जीवन के दूसरे परिच्छेद में भी सुख की अपेक्षा दु:ख ही अधिक रहा। जब उसने गेहुएँ रंग और बटिया जैसे मुख वाली पहली कन्या के दो संस्करण और कर डाले तब सास और जिठानियों ने ओठ बिचकाकर उपेक्षा प्रकट की।
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भक्तिन के जीवन के दूसरे परिच्छेद में भी सुख की अपेक्षा दु:ख ही अधिक रहा। जब उसने गेहुएँ रंग और बटिया जैसे मुख वाली पहली कन्या के दो संस्करण और कर डाले तब सास और जिठानियों ने ओठ बिचकाकर उपेक्षा प्रकट की।
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