Hindi, asked by JadeKumar1, 5 months ago

भक्तिकालीन तुलसीदास का जीवन परिचय
साहित्यिक परिचय
रचना प्रसिद्ध दोहे एवं उनके अर्थ
भक्ति भावना एवं समन्वय भावना
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Answered by Anonymous
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1⭐-गोस्वामी तुलसीदास जी का जन्म 1589 विक्रम संवत् में उ०प्र० के बाँदा जिले के राजापुर गाँव में हुआ था, इनके पिता पंडित आत्माराम दुबे तथा माता हुलसी देवी थी !

2⭐-संस्कृत से वास्वतिक रामायण को अनुवादित करने वाले तुलसीदास जी हिन्दी और भारतीय तथा विश्व साहित्य के महान कवि हैं। ... गोस्वामी तुलसीदास एक महान हिन्दू संत, समाजसुधारक के साथ ही दर्शनशास्त्र और कई प्रसिद्ध किताबों के भी रचयिता थे। राम के प्रति अथाह प्रेम की वजह से ही वे महान महाकाव्य रामचरित मानस के लेखक बने।

⭐3-तुलसी मीठे बचन ते सुख उपजत चहुँ ओर ।

बसीकरन इक मंत्र है परिहरू बचन कठोर ।।

अर्थ: गोस्वामी तुलसीदास जी कहते हैं कि मीठे वचन से सर्वत्र सब ओर प्रसन्नता और खुशी फैलती है सुखकारी भावनाओं का प्रसार होता है ।दूसरों को वश में करने का भी एकमात्र मंत्र मीठे वचन ही हैं । अतः मानव मात्र को कठोर वचन का परित्याग करके मधुर वचन बोलना चाहिए ।

4⭐-वस्तुतः तुलसीदास जी एक उच्चकोटि के कवि और भक्त थे तथा उनका हृदय भक्ति के पवित्रतम भावों से परिपूर्ण था। तुलसी का अपने साहित्य में भाषा और भावों पर पूर्ण अधिकर था। ... लोकहित की भावना से प्रेरित होकर उन्होंने जनभाषाओं को ही अपने साहित्य का माध्यम बनाया। उन्होंने ब्रज एवं अवधी दोनों भाषाओं में साहित्य की रचना की।

मुखिया मुखु सो चाहिऐ खान पान कहुँ एक ।

पालइ पोषइ सकल अंग तुलसी सहित बिबेक ।।

अर्थ: तुलसीदास जी कहते हैं कि मुखिया मुख के समान होना चाहिए जो खाने-पीने को तो अकेला है, लेकिन विवेकपूर्वक सब अंगों का पालन-पोषण करता है । अर्थात जो व्यक्ति कहीं भी किसी समूह का नेतृत्व कर रहा है उसको चाहिए कि उसके सभी सहचरों का अनुकूल पालन पोषण हो इसकी भी वह चिंता करें। यही गुण व्यक्ति को व्यक्तित्व में रूपांतरित कर देती है ।

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Hope It Helps You..

Answered by sara122
3

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Answer:

  • 1-गोस्वामी तुलसीदास जी का जन्म 1589 विक्रम संवत् में उ०प्र० के बाँदा जिले के राजापुर गाँव में हुआ था, इनके पिता पंडित आत्माराम दुबे तथा माता हुलसी देवी थी !

  • 2★-संस्कृत से वास्वतिक रामायण को अनुवादित करने वाले तुलसीदास जी हिन्दी और भारतीय तथा विश्व साहित्य के महान कवि हैं। ... गोस्वामी तुलसीदास एक महान हिन्दू संत, समाजसुधारक के साथ ही दर्शनशास्त्र और कई प्रसिद्ध किताबों के भी रचयिता थे। राम के प्रति अथाह प्रेम की वजह से ही वे महान महाकाव्य रामचरित मानस के लेखक बने।

  • 3-तुलसी मीठे बचन ते सुख उपजत चहुँ ओर | बसीकरन इक मंत्र है परिहरू बचन कठोर ।।

अर्थ: गोस्वामी तुलसीदास जी कहते हैं कि मीठे वचन से सर्वत्र सब ओर प्रसन्नता और खुशी फैलती है सुखकारी भावनाओं का प्रसार होता है ।दूसरों को वश में करने का भी एकमात्र मंत्र मीठे वचन ही हैं । अतः मानव मात्र को कठोर वचन का परित्याग करके मधुर वचन बोलना चाहिए

  • 4★-वस्तुतः तुलसीदास जी एक उच्चकोटि के कवि और भक्त थे तथा उनका हृदय भक्ति के पवित्रतम भावों से परिपूर्ण था। तुलसी का अपने साहित्य में भाषा और भावों पर पूर्ण अधिकर था। ... लोकहित की भावना से प्रेरित होकर उन्होंने जनभाषाओं को ही अपने साहित्य का माध्यम बनाया। उन्होंने ब्रज एवं अवधी दोनों भाषाओं में साहित्य की रचना की।

मुखिया मुखु सो चाहिऐ खान पान कहुँ एक । पालइ पोषइ सकल अंग तुलसी सहित बिबेक ।।

अर्थ: तुलसीदास जी कहते हैं कि मुखिया मुख के समान होना चाहिए जो खाने-पीने को तो अकेला है, लेकिन विवेकपूर्वक सब अंगों का पालन-पोषण करता है । अर्थात जो व्यक्ति कहीं भी किसी समूह का नेतृत्व कर रहा है उसको चाहिए कि उसके सभी सहचरों का अनुकूल पालन पोषण हो इसकी भी वह चिंता करें। यही गुण व्यक्ति को व्यक्तित्व में रूपांतरित कर देती है ।

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