Hindi, asked by usharoutela1984, 8 months ago

भक्ति के विषय में मीरा क्या संदेश देना चाहती है । भगवान किसी भक्ति से प्रसन्न होते हैं। कक्षा 10वी हिंदी के संदर्भ में

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Answered by Hritidixit
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Answer:

मीराबाई अपने आप में एक संपूर्ण ग्रंथ है जो समग्रता लिए हुए है प्रेम की, करुणा की, समर्पण की, वैराग्य की, भक्ति की, चेतना की, दर्शन की, एकांत की, त्याग की, आत्म सम्मान की, समाजोत्थान की, आत्मोत्थान की, आत्म परंपरा की, निर्लिप्तता की, विश्वास की, तेजस्विता की, निरंतरता की, स्थितप्रज्ञता की, समता की और अनंत की। इससे अधिक और क्या कहा जा सकता है?

मीरा बाई का चरित्र ऐसा है कि जिसके जीवन के हर मोड़ पर, जीवन के हर पहलू पर शोध की अनेकानेक संभावनाएं प्रस्तुत है। उनका संपूर्ण चरित्र ऐसा है जो इतने वैविध्य से परिपूर्ण है, इतनी विशेषताओं से पूर्ण है कि यह समकालीन ना होकर, तत्कालिक ना होकर सर्वकालिक है Timeless है।यानि इनकी चारित्रिक विशेषताएं उस काल में भी उतनी ही प्रासंगिक थी जितनी आज के युग में कही जा सकती हैं ।बल्कि यह कहने में कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी कि आज के युग में मीराबाई को सब समझना, समझाना अधिक महत्वपूर्ण है ।संगोष्ठी के सभी उपविषय एक दूसरे से संबंधित हैं और अन्योन्याश्रित भी।यह मीराबाई के चरित्र के विभिन्न बिंदु कहे जा सकते हैं जिनका कि जिक्र किए बिना किसी एक विषय पर शोध पूर्ण हो ही नहीं सकता। इसलिए हम भी प्रस्तुत विषय पर अपना शोध (प्रयास )प्रस्तुत करते हैं क्योंकि पूर्णता केवल ईश्वर में व्याप्त है। हम तो केवल पूर्णता को प्राप्त करने की ओर निरंतर अग्रसर हैं और कलयुग में इतना ही काफी भी है।

मीराबाई के चरित्र को कुछ पन्नों पर उतार पाना संभव नहीं है क्योंकि वह दिव्यात्मा थी जो पूर्व जन्म के प्रेम को लेकर उत्पन्न हुई। इस जन्म में भी केवल प्रेममयी जीवन जिया तथा अंत मे एक दिव्य ज्योति बनकर अपने आराध्य देव में ही समा गई ।उनकी देह भी इस लोक पर दिखाई नहीं दी । वे एक ज्योति स्वरूप बनकर देखते ही देखते भगवान श्री कृष्ण की मूर्ति के साथ ही एकाकार हो गई। ऐसी दिव्य विभूति, पवित्र आत्मा के बारे में लिखना अपने आप में एक कठिन कृत्य है फिर भी हम प्रयास करेंगे।

परिचय---

मीरा बाई के प्रारंभिक जीवन में ही "आलौकिक दांम्पत्य जीवन" की नींव ।

मीराबाई का जन्म एक संपन्न परिवार में 1573 ईस्वी में चौकड़ी नामक गांव में हुआ था। बचपन से ही शांत स्वभाव की मीरा ने एक दिन एक बारात को देख रही थी कि अपनी मां से पूछने लगी कि--- "माँ ये बारात क्या होती है? ये जो घोड़ी पर बैठा है वो कौन है?ये कहां जा रहे हैं?दुल्हन कौन होती है?विवाह क्या होता है"?आदि आदि। तब उनकी माँ ने उन्हें समझाया कि सभी का विवाह होता है, एक दिन तुम्हारा भी होगा ,तुम्हारा भी दूल्हा आएगा, मेरा भी विवाह हुआ था, ऐसे सभी का होता है।इतने पर नन्ही मीरा हठ कर बैठी कि माँ मेरा तो अभी विवाह करो। " हट पगली ; ऐसे थोड़ी न होता है विवाह।उसके लिए उची समय और दूल्हा भी तो जरूरी है "।

Answered by xxmrsalonexx
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मीरा भक्ति के विषय में क्या संदेश देना चाहती है

मीरा भक्ति के विषय में क्या संदेश देना चाहती हैमीरा कहती हैं कि सांसारिक धन क्षीण हो जाते हैं , इनके चोरी होने का भी डर रहता है। जबकि भक्ति एक ऐसा धन है जो निरंतर बढ़ता ही जाता है और भक्त को भवसागर के पार ले जाता है।

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