भक्ति काव्य की सामान्य विशेषताओं बताना
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भक्तिकाल को स्वर्णयुग कहा जाता है। भक्तिकाल ने हिंदी साहित्य एवं जनमानस को एक नई ऊर्जा प्रदान की।
भक्तिकाल की प्रमुख विशेषतायें-
● भक्तिकाल की प्रत्येक धारा में ईश्वर के प्रति असीम प्रेम और भक्ति दिखाई देती है। संतकाव्य, सूफीकाव्य, रामकाव्य और कृष्णकाव्य, सबमें ईश्वर के प्रति उत्कट प्रेम दिखता है।
● भक्तिकाल के कवियों ने समाज को आडम्बरों से मुक्त करने का प्रयास किया तथा एक समतामूलक समाज के निर्माण में अमूल्य योगदान दिया।
● इस काल में गुरु महिमा को भी महत्व दिया गया है। कबीर ने गुरु को विशेष स्थान तो दिया ही है, तुलसीदास जी भी मानस का आरम्भ गुरु-वन्दना से करते हैं।
● इस काल के कवियों ने अथाह आत्मविश्वास का परिचय देते हुए, समाज के अधिकांश कुरीतियों को हटाने का प्रयास किया।
● छन्द, अलंकार और भाषा के स्तर पर इस काल के कवियों ने हिंदी साहित्य को एक नया योगदान दिया।
भक्तिकाल ने सबके लिए भक्ति का मार्ग सुलभ किया और जनमानस को एक नई ऊर्जा प्रदान की।