भक्तिन के व्यक्तित्व पर प्रकाश डालिए
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लेखिका बताती है कि भक्तिन का कद छोटा था। उसका शरीर दुबला-पतला था। वह देखने में भी गरीब प्रतीत होती थी। ... जब वह लेखिका के पास आई तब वह अपनी घुटी हुई चाँद (गंजी खोपड़ी) को मोटी मैली धोती से ढँके हुए थी।
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भक्तिन' लेखिका की सेविका है। लेखिका ने उसके जीवन संघर्ष का वर्णन किया है। उसके चरित्र की निम्नलिखित विशेषताएँ हैं?
i. व्यक्तित्व-भक्तिन अधेड़ उम्र की महिला है। उसका कद छोटा व शरीर दुबला-पतला है। उसके होंठ पतले हैं तथा ऑखें छोटी हैं।
ii. परिश्रमी-भक्तिन कर्मठ महेला है। ससुराल में वह बहुत मेहनत करती है। वह घर, खेत, पशुओं आदि का सारा कार्य अकेले करती है। लेखिका के घर में भी वह उसके सारे कामकाज को पूरी कर्मठता से करती है। वह लेखिका के हर कार्य में सहायता करती है।स्वाभिमानिनी भक्तिन बेहद स्वाभिमानिनी है। पिता की मृत्यु पर विमाता के कठोर व्यवहार से उसने मायके जाना छोड़ दिया। पति की मृत्यु के बाद उसने किसी का पल्ला नहीं थामा तथा स्वयं मेहनत करके घर चलाया। जमींदार द्वारा अपमानित किए जाने पर वह गाँव छोड़कर शहर आ गई।महान सेविका भक्तिन में सच्चे सेवक के सभी गुण हैं। लेखिका ने उसे हनुमान जी से रपद्र्धा करने वाली बताया है। वह छाया की तरह लेखिका के साथ रहती है तथा उसका गुणगान करती है। वह उसके साथ जेल जाने के लिए भी तैयार है। वह युद्ध, यात्रा आदि में हर समय उसके साथ रहना चाहती है।