History, asked by sanjana192003, 3 months ago

भक्ति संतों का
राज्य के साथ सम्बन्ध कताइए​

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Answered by manjumaihar5
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Answer:

भक्ति आन्दोलन मध्‍यकालीन भारत का सांस्‍कृतिक इतिहास में एक महत्‍वपूर्ण पड़ाव था। यह एक मौन क्रान्ति थी जिसमे इस काल के सामाजिक-धार्मिक सुधारकों द्वारा समाज में विभिन्न तरह से भगवान की भक्ति का प्रचार-प्रसार किया गया। इन संतो ने भक्ति मार्ग को ईश्वर प्राप्ति का साधन मानते हुए ‘ज्ञान’, ‘भक्ति’ और ‘समन्वय’ को स्थापित करने का प्रयास किया। यहां हम सामान्य जागरूकता के लिए भक्ति आंदोलन के संतों और शिक्षकों की सूची दे रहे हैं।

Answered by makhansinghsanour456
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Answer:

भक्ति आंदोलन के संत और शिक्षक योगदान

चैतन्य (1468-1533 ई.) 1. बंगाल में आधुनिक वैष्णववाद के संस्थापक 2. कीर्तन प्रथा को लोकप्रिय किया था।

शंकरदेव (1499-1569 ई.) 1. असम में भक्ति पंथ का प्रचार-प्रसार किया था।

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