Hindi, asked by Arunjadhav, 8 months ago

भक्ति देखि राजी हुई जगत देखि रोई मीराबाई ने कुंती के माध्यम से क्या कहना चाहा है ​

Answers

Answered by sachinjanuary16
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Explanation:

पदावली / भाग-1 / मीराबाई

1. शबरी प्रसंग

अच्छे मीठे फल चाख चाख, बेर लाई भीलणी।

ऎसी कहा अचारवती, रूप नहीं एक रती।

नीचे कुल ओछी जात, अति ही कुचीलणी।

जूठे फल लीन्हे राम, प्रेम की प्रतीत त्राण।

उँच नीच जाने नहीं, रस की रसीलणी।

ऎसी कहा वेद पढी, छिन में विमाण चढी।

हरि जू सू बाँध्यो हेत, बैकुण्ठ में झूलणी।

दास मीरां तरै सोई, ऎसी प्रीति करै जोइ।

पतित पावन प्रभु, गोकुल अहीरणी।

2.

अजब सलुनी प्यारी मृगया नैनों। तें मोहन वश कीधो रे॥ध्रु०॥

गोकुळ मां सौ बात करेरे बाला कां न कुबजे वश लीधो रे॥१॥

मनको सो करी ते लाल अंबाडी अंकुशे वश कीधो रे॥२॥

लवींग सोपारी ने पानना बीदला राधांसु रारुयो कीनो रे॥३॥

मीरां कहे प्रभु गिरिधर नागर चरणकमल चित्त दीनो रे॥४॥

3.

अपनी गरज हो मिटी सावरे हम देखी तुमरी प्रीत॥ध्रु०॥

आपन जाय दुवारका छाय ऐसे बेहद भये हो नचिंत॥ ठोर०॥१॥

ठार सलेव करित हो कुलभवर कीसि रीत॥२॥

बीन दरसन कलना परत हे आपनी कीसि प्रीत।

मीरां के प्रभु गिरिधर नागर प्रभुचरन न परचित॥३॥

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