Bhakt aur Vinay se sambandhit Sar ke aane padon ka sangrah Kijiye
Koyla Loha bauxite Chandi Sona in dhaatu ke Pradhan utpadak deshon ki Suchi bataiye
ganit Vidya Ke Bina Hamari Shiksha Adhuri hai apne shabdon Mein udaharan sahit varnan Kijiye
Antariksha Yatra se sambandhit Chitra ke sath unke bare mein likhiye
inmein se koi ek best topic chuniye
Answers
भक्ति और विनय से संबंधित सूर के पदों का संग्रह....
चरन-कमल बंदौं हरि-राइ ।
जाकी कृपा पंगु गिरि लंघै, अँधे को सब कछु दरसाइ ।
बहिरौ सुनै, गूँग पुनि बोलै ,रंक चलै सिर छत्र धराइ ।
सूरदास स्वामी करुनामय, बार-बार बंदौं तिहिं पाइ।
गुरु बिनु ऐसी कौन करै ?
माला-तिलक मनोहर बाना, लै सिर छत्र धरै ।
भवसागर तैं बूड़त राखै, दीपक हाथ धरै ।
सूर स्याम गुरु ऐसौ समरथ, छिन मैं ले उधरै ।।
मेरौ मन अनत कहाँ सुख पावै ।
जैसें उड़ि जहाज को पच्छी; फिरि जहाज पर आवै ।
कलम-नैन कौ छाँड़ि महातम, और देव कौं ध्वावै ॥
परम गंग कौं छाँड़ि पियासौ, दुरमति कूप खनावै ।
जिहिं मधुकर अंबुज-रस चाख्यौ, क्यौं करील-फल भावै ।
सूरदास-प्रभु कामधेनु तजि, छेरी कौन दुहावै।।
अंखियां हरि–दरसन की प्यासी।
देख्यौ चाहति कमलनैन कौ¸ निसि–दिन रहति उदासी।।
आए ऊधै फिरि गए आंगन¸ डारि गए गर फांसी।
केसरि तिलक मोतिन की माला¸ वृन्दावन के बासी।।
काहू के मन को कोउ न जानत¸ लोगन के मन हांसी।
सूरदास प्रभु तुम्हरे दरस कौ¸ करवत लैहौं कासी।।
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