bhakt prahlad ki kahani in hindi . should not exceed 150 words
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Explanation:
फागुन जिन कारणों से मशहूर है, उनमें दीवानापन और मस्ती का आवेग भी शामिल है। ऐसा नहीं है कि फागुन कोई पहली बार आया हो और लोगों में आनंद-उल्लास जगा हो, लेकिन कहते हैं शुरुआत प्रह्लाद से हुई। प्रह्लाद अर्थात खास किस्म के उल्लास से सराबोर व्यक्तित्व। आनंद-उल्लास पहले भी रहे होंगे, लेकिन अर्जित या विकसित स्थिति में पहली बार प्रह्लाद के रूप में स्थापित हुआ। कयाधु (प्रह्लाद की जननी) ने अपने पति हिरण्यकश्यप से होशियारी से 'नारायण-नारायण' नाम की एक माला जपवा ली। कहते हैं कि इसके प्रभाव से ही कयाधु, प्रह्लाद जैसे विष्णुभक्त की मां बनीं। कयाधु के अलावा सभी परिजन हिरण्यकश्यप और बुआ होलिका आदि आसुरी स्वभाव के थे। शुक्राचार्य गुरु तो थे, पर अपनी प्रकृति के कारण आसुरी स्वभाव के कहे जाते थे। दत्तात्रेय, शंड और मर्क के अलावा आयुष्मान, शिवि, वाष्कल, विरोचन और यशकीर्ति आदि पुत्र-कलत्र विष्णुभक्त भी कहलाते थे। प्रह्लाद भी विष्णुभक्त ही निकले। यद्यपि पिता ने बहुत कहा-सुना और यातनाएं दी, पर बेटे को विष्णुभक्ति से डिगा न सके।
Answer:
प्रहलाद बहुत बड़ा तपस्वी होने के साथ साथ बहुत बड़ा विष्णु भक्त भी थे ।ये बहुत छोटे से आयु में वन में विष्णु का पूजन करने चले गए थे ।ये अपना सारा राज पार्ट त्याग कर विष्णु भक्ति में लीन रहने लगे थे।इनके पिता के द्वारा माना करने के बाद भी ये विष्णु के आराध्ना में लीन रहते ।
Explanation:
प्लीज मर्क मि एस ए ब्रेनलीस्ट