Bhakti kaal keakhil bharitiya sworup.
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*"कल"* खो दिया *"आज"* के लिये ,
*"आज"* खो दिया *"कल"* के लिये ,
कभी जी ना सके हम *"आज"*,
*"आज"* के लिये
*बीत रही है जिदंगी ,*
*कल, आज और कल के लिये...!*
*"आज"* खो दिया *"कल"* के लिये ,
कभी जी ना सके हम *"आज"*,
*"आज"* के लिये
*बीत रही है जिदंगी ,*
*कल, आज और कल के लिये...!*
sushmita:
hmmm
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