Hindi, asked by Raunak97, 1 year ago

bhakti ras ka udahran

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Answered by ips420
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जहाँ ईश्वर के प्रति श्रद्धा और प्रेम का भाव हो,वहाँ भक्ति रस होता है।

स्थायी -  ईश्वर प्रेम ।

संचारी - विवोध, चिंता, संत्रास, धृति, दैन्य, अलसता ।

आलंबन - ईश्वर कृपा, दया, महिमा ।

आश्रय -  भक्त ।

उद्दीपन - मंदिर , मूर्ति आदि ।

अनुभाव - ध्यान लगाना, माला जपना, आँखें मूँदना, कीर्तन करना, रोना, सिर झुकाना आदि ।

जैसे -






 
मेरो मन अनत कहां सुख पावै।
 
जैसे उड़ि जहाज कौ पंछी पुनि जहाज पै आवै॥
 
कमलनैन कौ छांड़ि महातम और देव को ध्यावै।
 



परमगंग कों छांड़ि पियासो दुर्मति कूप खनावै॥
 
जिन मधुकर अंबुज-रस चाख्यौ, क्यों करील-फल खावै।
 
सूरदास, प्रभु कामधेनु तजि छेरी कौन दुहावै॥ 

 



विशेष -

* इसमें श्रीकृष्ण की भक्ति आलंबन है।

* कवि सूरदास का हृदय आश्रय है ।

* श्रीकृष्ण का रूप-सौन्दर्य , उनकी उदारता , भक्त-वत्सलता आदि उद्दीपन है।

* श्रीकृष्ण की भक्ति , उनके प्रति गहन लगाव , किसी और की भक्ति न करना, श्रीकृष्ण को सर्वश्रेष्ठ बताना , किसी और के शरणागत न होना तथा कृष्ण के समक्ष पूर्ण-समर्पण करना अनुभाव है।

* धैर्यपूर्वक श्रीकृष्ण की भक्ति , श्रीकृष्ण की दिव्यता का बोध आदि संचारी भाव है।



 रसों पर विशेष बात... आगामी दिनों में

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