भलाई का असर निबंध 500 शब्द में।
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हमारे बड़े बुजुर्ग और माता पिता बचपन से ही हमें ये सिखाते आ रहे हैं की गरीबों और जरुरतमंदो की हमें मदद करनी चाहिए. हमारे भारतीय संस्कार में ही दुसरे की सहायत करने का गुण बसा हुआ है.
सहायता करने का ये मतलब नहीं है की जब आप उस काबिल हो जायेंगे तभी आप दुसरो की सहायत करेंगे, जो अपने स्वार्थ के बारे में ना सोच कर दुसरे के खुसी के लिए जरुरतमंदो का मदद करता है वही सच्चा मनुष्य होता है और इसी गुण को परोपकार कहते हैं.
ये सारी बातें तो आप अपनी दादा-दादी और नाना-नानी से बचपन से ही सुनते आ रहे होंगे क्योंकि उनके ज़माने में परोपकार का मतलब ही पुण्य हुआ करता था लेकिन आज के ज़माने में आपको कहीं किसी व्यक्ति में ऐसा गुण देखने को मिलता है? मिलता है परन्तु बहुत ही कम.
ऐसा नहीं है की परोपकारी मनुष्य इस दुनिया में नहीं है, बिलकुल हैं लेकिन उनकी संख्या बहुत ही कम है. ऐसा क्यों है? क्या इस धरती के मनुष्य के अंदर इंसानियत खत्म हो गयी है? इसका जवाब है बिलकुल नहीं, हर मनुष्य के अन्दर कुछ अच्छाई और बुराई होती है.
ये अच्छाई वाला गुण ही परोपकार का रूप है लेकिन पिछले कुछ दशक से मनुष्यों के अच्छाइयों वाला गुण कम और बुराइयों वाला गुण ज्यादा देखने को मिल रहा है.
हमारे बच्चे भी बचपन से बुराइयों वाला गुण देखते हुए बड़े हो रहे तो आप खुद ही सोचिये की वो हमसे और बाहर का मंजर देखकर क्या सीखेंगे. बड़ों से ही तो सीखते हैं बच्चे.
अगर हम उनके सामने अच्छे अच्छे काम करेंगे, गरीबों की मदद करेंगे, भूखों को भोजन कराएँगे और परोपकार का महत्व क्या है ये बताएँगे तो यक़ीनन आगे आने वाली पीढ़ी इंसानियत की एक मिशल बनेगी. इस काम में मै आपकी सहायता करने के लिए यहाँ पर परोपकार पर निबंध पेश कर रही हूँ जिसके मदद से आप अपने बच्चों को बेहतर इंसान बना सकते हैं.