Hindi, asked by taranumjabbar, 8 days ago

bhala kaise chalun mein kavita summary​

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Answered by svetaKumari
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कि " सी के निर्देश पर चलना नहीं स्वीकार मुझको नहीं है पद - चिह्न का आधार भी दरकार मुझको . ले निराला मार्ग उस पर सींच जल काटे उगाता और उनको रौंदता हर कदम मैं आगे बढ़ाता । शूल से है प्यार मुझको , फूल पर कैसे चर्चे में ? बाँध बातो में हृदय की आग चुप जलता रहे जो और तम से हारकर चुपचाप सिर धुनता रहे जो . जगत को उस दीप का सीमित निवल जीवन सुहाता यह धधकता ' रूप मेरा विश्व में भय ही जगाता । प्रलय ' की ज्वाला लिए हूँ , दीप बन कैसे जलूँ मैं ? जग ' दिखाता है मुझे रे राह मंदिर और मठ की एक प्रतिमा में जहाँ विश्वास की हर साँस अटकी , चाहता हूँ भावना की भेंट मैं कर दूँ अभी तो सोच लूँ पाषाण में भी प्राण जागेंगे कभी तो . पर स्वयं भगवान हूँ , इस सत्य को कैसे छलं * -हरिशकर पासा

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